सूर्य प्रकाश क्या है? सूर्य प्रकाश के कृषि में महत्त्व क्या क्या है?

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 सूर्य प्रकाश (Sun Light)


           पृथ्वी के वायुमण्डल को ऊष्मा मुख्य रूप से सूर्य से प्राप्त होती है। सूर्य एक दहकता हुआ बहुत बड़ा गैसीय पिण्ड है जिससे निरन्तर चारों ओर अपरिमित ऊर्जा का विकिरण होता रहता है। सौर मण्डल के सभी ग्रह व उपग्रह इसी ऊर्जा की विभिन्न मात्राएँ प्राप्त करते हैं। पृथ्वी से सूर्य की दूरी 14,88,00,000 किमी है तथा इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का 100 गुना है व इसका द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से 3,32,000 गुना अधिक है। सूर्य के धरातल का तापमान लगभग 6000 K तथा केन्द्रीय भाग का तापमान लगभग 1.5-2.0 x 106 केल्विन होता है। सूर्य के धरातल के प्रत्येक वर्ग इंच से विकीर्ण ऊर्जा 1,00,000 अश्वशक्ति के बराबर होती है। पृथ्वी इस विकीर्ण ऊर्जा का केवल

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         2,00,00,00,000 

भाग ही प्राप्त करती है। परन्तु यह स्वल्प मात्रा भी 23,000,000,000,000 अश्वशक्ति के बराबर होती है। सूर्य से प्राप्त इस ऊर्जा के कारण ही पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व है। इसी कारण पृथ्वी पर हवाओं का संचार, समुद्री धाराओं का प्रवाह तथा मौसम एवं जलवायु का आविर्भाव होता है तथा पृथ्वी पर पाये जाने वाले ऊर्जा के विभिन्न स्रोत; जैसे-खनिज तेल, कोयला अथवा लकड़ी आदि सौर ऊर्जा के ही परिवर्तित रूप हैं।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

• सूर्यातप की अधिकतम मात्रा विषुवत रेखा के पास होती है, लेकिन 21 जून को उत्तरी ध्रुव पर उससे भी अधिक गर्मी प्राप्त होती है

• सूर्य से आपतित विकिरण और अन्तरिक्ष की ओर परावर्तित विकिरण की मात्रा के अनुपात को पृथ्वी का एल्बिदो कहा जाता है।

         

           सूर्य से विकीर्ण ऊर्जा का जो भाग पृथ्वी पर पहुँचता है उसे सूर्यातप (Insolation) कहते हैं। सूर्य से ऊर्जा का विकिरण, सूर्य किरणों के रूप में होता है जिनमें X-किरणें, पराबैंगनी किरणें, दृश्य प्रकाश किरणें, अवरक्त प्रकाश किरणें सम्मिलित होती हैं। पृथ्वी तल पर मुख्य रूप से दृश्य प्रकाश किरणे व अवरक्त प्रकाश किरणें ही पहुँचती हैं। जब दृश्य प्रकाश किरणें वस्तुओं पर पड़ती हैं तो वस्तुएँ हमें दिखाई देती हैं तथा अवरक्त प्रकाश किरणें पृथ्वी के वायुमण्डल की ऊष्मा का मुख्य स्रोत होती हैं। सामान्य तौर पर इन किरणों को ही सूर्य का प्रकाश कहा जाता है।

            सूर्य प्रकाश का कृषि में महत्त्व-जैसा कि हम पढ़ चुके हैं कि पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व सूर्य प्रकाश (सौर ऊर्जा) के कारण ही है। वानस्पतिक विकास के लिए सूर्य प्रकाश अति महत्त्वपूर्ण होता है। अधिकांश पौधों के उचित विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में धूप (सूर्य का प्रकाश) की आवश्यकता होती है। पौधे सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में ही प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा अपना भोजन तैयार करते हैं। पत्तियों की हरीतिमा (chlorophyll) सूर्य प्रकाश में ही सम्भव है। फसलों के लिए आवश्यक मात्रा में ऊष्मा, सूर्य प्रकाश से ही प्राप्त होती है। सूर्य प्रकाश के अभाव में पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं तथा उनका विकास रुक जाता है। फसलों के फूलने-फलने के लिए धूप का होना अत्यन्त आवश्यक होता है। पौधे ऐसे भी होते हैं जो सूर्य प्रकाश के अभाव में भी विकसित होते हैं। लेकिन कृषि के क्षेत्र में ऐसे का कोई महत्त्व नहीं होता। अतः कृषि के क्षेत्र में सूर्य प्रकाश काफी महत्त्वपूर्ण होता है।

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