ट्रान्सजेनिक फसलों का विकास क्या है?

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ट्रान्सजेनिक फसलों का विकास

[DEVELOPMENT OF TRANSGENIC CROPS] 

               वह जीव जिनमें स्वयं के जीन्स के अतिरिक्त एक या अधिक जीन्स का समावेशन होता है, ट्रान्सजेनिक जीव कहलाते हैं। ये जन्तु, पौधे तथा जीवाणु कोई भी हो सकते हैं। आज DNA पुनर्योजित तकनीक की सहायता से विभिन्न फसलों के पौधों तथा सूक्ष्मजीवों के जीन एक-दूसरे में आसानी से डाले जा सकते हैं। अतः ऐसे पौधे जिनमें स्वयं के जीनोम के अलावा किसी अन्य जाति के एक या अधिक जीनों का निवेशन भी पाया जाता हो, ट्रान्सजेनिक पादप कहलाते हैं। आज पौधों की अनेक जातियों में जीन स्थानान्तरण द्वारा ट्रान्सजेनिक पौधों का निर्माण किया जा चुका है जिससे फलोत्पादन की सम्भावनाएँ बढ़ गयी है तथा पौधों के अनेक प्रकार के रोगों का उन्मूलन आसानी से हुआ है। 

ट्रान्सजेनिक पौधों में सम्बन्धित जीन के निवेशन द्वारा प्रोटीन्स का उत्पादन किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पौधों में प्रतिजन प्रोटीनों का उत्पादन एवं खाद्य टीकों का विकास भी किया जा सकता है। फसलों के पकने की अवधि को घटाया एवं सूखा तथा ठण्ड सहने की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। ट्रान्सजेनिक पौधों को उत्पन्न करने की जीन स्थानान्तरण विधि में डी.एन.ए. पुनर्योजन विधि का उपयोग किया जाता है। यह विधि होती है, लेकिन यहाँ हम इसे सरलीकृत रूप में संक्षेप में समझायेंगे।

       सबसे पहले हम टारगेट कोशिकाओं जिनमें जीन्स का स्थानान्तरण करना है; छाँटते हैं। ये संवर्धित कोशिकाएँ, अपरिपक्व भ्रूण की विभज्योतक कोशिकाएँ, अपरिपक्व परागकण, निषेचित अण्ड कोशिका, कैलस कोशिका समूह आदि कुछ भी हो सकती है। इन टारगेट कोशिकाओं में परपोषी प्रोटोप्लास्ट से सीधे ही डी.एन.ए. को एन्डोसाइटोसिस विधि द्वारा निवेशित कर देते हैं। तत्पश्चात् रूपान्तरित हुए प्रोटोप्लास्ट्स का चयन कर संवर्धन एंव पुनरुद्भवन द्वारा ट्रान्सजेनिक पौधे बड़ी मात्रा में प्राप्त कर लेते हैं। टारगेट कोशिका में परजीवी डी.एन.ए. का निवेशन उपर्युक्त विधि के अलावा सूक्ष्म-प्रक्षेपण एवं माइक्रोप्रोजेक्टाइल विधि द्वारा भी कर सकते हैं। सूक्ष्म-प्रक्षेपण विधि में टारगेट कोशिकाओं को किसी ठोस आधार पर स्थिर कर, माइक्रोप्रक्षेपण द्वारा जीन स्थानान्तरण करते हैं। जबकि माइकोप्रोजेक्टाइल विधि में स्वर्ण या टंगस्टन कणों पर आवरित डी.एन.ए. खण्डों के बुलेट को तीव्र गति से टाइगेट कोशिका पर छोड़ा जाता है। ये कण कोशिका भित्ति को बेधते हुए केन्द्रक तक पहुँच जाते हैं तथा वहाँ पहुँचकर विजातिय एवं गुणसूत्री डी.एन.ए. एक-दूसरे के साथ एकीकृत हो जाता है। जीन्स के लिए स्थानान्तरण के आजकल इसी विधि का प्रयोग अधिक किया जाता है।

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