वायुमंडल किसे कहते संक्षिप्त में समझाइए ? Explain briefly what is called atmosphere?

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 वायुमंडल

(ATMOSPHERE)

पृथ्वी के चारों ओर से घेरे हुए का आवरण, वायुमंडल कहलाता है।


इसे जरूर पढ़ें:- How to grow YouTube channel || YouTube channel grow Kaise Karenयह जमीन व पानी की तरह ही पृथ्वी का एक भाग है जिसका अनुभव हम तब तक नहीं कर पाते जब तक की वायु गतिमान ना हो अर्थात हवा न चले । वायुमंडल जमीन व पानी के समान सघन तो नहीं होता लेकिन इसका द्रव्यमान होता है तथा यह पृथ्वी तल पर दाब डालता है । वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जिसमें गैसों की मात्रा तथा उपस्थिति पृथ्वी तल से उनकी ऊंचाई के अनुसार होती है। पृथ्वी के वायमंडल में लगभग 21% ओक्सीजन होती है तथा सबसे अधिक मात्रा 78% नाइट्रोजन की होती है । इनके अतिरिक्त कार्बन-डाइऑक्साइड, आर्गन, निऑन, हीलियम, अमोनिया, जलवाष्प आदि गैसों भी वायुमंडल में उपस्थित होती हैं।

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वायुमंडल में उपस्थित गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड सबसे अधिक भारी होता है जिसके कारण इसके अधिकांश मात्रा वायुमंडल के निचले भाग में होती है। कार्बन डाइऑक्साइड ऊष्मा की एक अच्छी अवशोषक होती है तथा सूर्य और पृथ्वी से आने वाले ऊष्मीय विकिरणों को अवशोषित करती है जिसमें वायुमंडल का निचला भाग गर्म रहता है। कार्बन डाइऑक्साइड के समान जल वाष्प भी ऊष्मा की एक अच्छी अवशोषक होती है तथा यह भी सूर्य और पृथ्वी से आने वाले उष्मीय विकरणो को अवशोषित करती है। वायुमंडल हमें पृथ्वी की और प्रतिदिन गिरने वाले लाखों उल्का पिंडों से बचाता है तथा सूर्य से आने वाले पराबैंगनी किरणों जो कि हमारे लिए बहुत हानिकारक होती हैं; को पृथ्वी पर पहुंचने से रोकता है वायुमंडल एक बहुत बड़े वातानुकूल एयर कंडीशनर की तरह कार्य करता है जो पृथ्वी पर ताप को बहुत अधिक व बहुत कम होने से रोकता है वायुमंडल के कारण ही हवा, वर्षा व अन्य घटनाएं जिन पर पेड़ पौधों व अन्य जीवो का जीवन आधारित है, होती है अर्थात वह वायुमंडल ही है जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन है।

पृथ्वी का वायुमंडल पृथ्वी तल से लगभग 1000 किलोमीटर तक होता है तथा इस को पांच भागों में बांटा गया है-

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(1) ट्रोपास्फेयर (Troposphere)- यह पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे निचली परत होती है जिसकी पृथ्वी तल पर ध्रुवों से ऊंचाई लगभग 8 किमी तथा भूमध्य रेखा से लगभग 16 किमी होती है। मौसम संबंधी सभी घटनाएं इसी के अंदर होती हैं तथा वायुमंडल का लगभग 90% द्रव्यमान इसी में निहित होता है।

इसके अंदर ऊपर जाने पर ताप 6.4°C प्रति किमी किधर से गिरता है। इसकी ऊपरी सीमा को ट्रोपोपॉस कहते हैं।

(2) स्ट्रेटोस्फेयर (Stratosphere)- ट्रोपोपॉस से लेकर पृथ्वी तल से लगभग 50 किमी ऊंचाई तक के वायुमंडल को  स्ट्रेटोस्फेयर कहा जाता है।

इसके अंदर ताप परिवर्तन नहीं होता।ओजोन परत इसी के अंदर होती है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। इसके उच्च स्तर को ट्रोपोपॉस कहते हैं।

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(3) मीजोस्फेयर (Mesosphere)- स्ट्रेटोपाॅस से लेकर पृथ्वी तल से लगभग 80 किमी ऊंचाई तक का वायुमंडल को

मीजोस्फेयर कहलाता है। इसमें भी ताप ऊंचाई के साथ घटता है तथा इसकी ऊपरी सीमा (अर्थात पृथ्वी तल से 80 किमी ऊंचाई) पर ताप- 100°C के लगभग होता है। इसके ऊपरी सीमा को मिजोपोस कहते हैं।

(4) आयनोस्फेयर (Ionosphere)- मीजोपाॅस से लेकर पृथ्वी तल से लगभग 500 किमी ऊंचाई तब की वायुमंडलीय परत आइनोस्फीयर कहते हैं।

दूरसंचार में प्रयुक्त होने वाली रेडियो तरंगों का परिवर्तन इसी पर्त से होता है। यह पर्थ सूर्य से आने वाली X-किरणों को अवशोषित कर लेती है तथा उन्हें पृथ्वी पर आने से रोकती है।

(5) एक्सोस्फेयर (Exosphere)- यह पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत है जो पृथ्वी तल से लगभग 500 किमी ऊंचाई से लेकर लगभग 1000 किमी ऊंचाई तक होती है। इसकी ऊपरी सीमा काफी अनिश्चित होती है जिसे मैग्नेटो पोज कहा जाता है।

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